मॉनिटर-Monitor क्या है? मॉनिटर के प्रकार व पैरामीटर

परिचय

कंप्यूटर के मॉनिटर-Monitor से वर्तमान में आप सभी अच्छे से वाकिफ है क्योंकि हम सभी आज मॉनिटर का अलग-अलग तरह से उपयोग कर रहे हैं जैसे मूवी देखने के लिए, गेमिंग के लिए |

यहां तक की हम अपने टेलीविजन को भी मॉनिटर की तरह उपयोग करने लग चुके हैं |आधुनिक डिस्प्ले का रेसोल्यूशन काफी एडवांस हो चुका है जो अल्ट्रा क्वालिटी पिक्चर हमारे अनुभव को बेहतर बनाता है |

मॉनिटर की परफॉर्मेंस को मापने के लिए कई मापदंड हो सकते हैं जैसे रेसोल्यूशन, रिस्पांस टाइम, रिफ्रेश रेट, पावर कनेक्शन जो हमें बेहतर मॉनिटर चुनने के लिए प्रेरित करते हैं

आज हम मॉनिटर के विषय में जानेंगे और जाने का प्रयास करेंगे कि हम अच्छे मॉनिटर का चुनाव कैसे कर सकते हैं |

आप मेरे लेख को पढ़ रहे हैं तो मैं आपको निराश नहीं करुंगा – क्योकि मैं चाहता हूं कि रीडर्स को कंप्लीट जानकारी मिले हमारे इस वेबसाइट का मकसद ही यही है कि जानकारी को कंप्लीट करा जाए क्योंकि – आधी अधूरी जानकारी सही नहीं होती है

एक बार मेरे लेख को पढ़ लेने के बाद आपको किसी दूसरे लेख में जाने की आवश्यकता नहीं पड़नी चाहिए  – ऐसा मेरा सोचना है क्योंकि समय बहुत कीमती है ओर उसे हमे संभाल कर खर्च करना चाहिए |

मॉनिटर क्या है ?

 मॉनिटर-monitor

मॉनिटरिंग का अर्थ है निगरानी करना.. ओर मॉनिटर-Monitor मतलब एक ऎसा डिवाइस जो कंप्यूटर सिस्टम में यूज़र द्वारा की गई सारी गतिविधियो को दिखाता है|

आधुनिक मॉनिटर में डिस्प्ले डिवाइस आमतौर पर एक पतली फिल्म जिसे ट्रांजिस्टर लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले होती है जिसमें एल.सी.डी बैकलाइटिंग होती है जिसमे कोल्ड कैथोड फ्लोरोसेंट लैंप लाइटिंग होती है पहले के मॉनिटर में सी.आर.टी और कुछ प्लाज्मा डिस्प्ले का उपयोग किया जाता है |

यह एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है कंप्यूटर वर्ल्ड  डिस्प्ले, स्क्रीन, डिस्प्ले यूनिट, टर्मिनल, डिस्प्ले डिवाइस ना जाने और किन किन नामों से जानते हैं यह कंप्यूटर का आउटपुट डिवाइस है

मॉनिटर कंप्यूटर का महत्वपूर्ण पार्ट में से एक है  इनपुट से फ़ीड किए गए इंफॉर्मेशन को मॉनिटर के माध्यम से हम पढ़ या देख पाते हैं मॉनिटर ना हो तो कंप्यूटर में क्या चल रहा है यह हमें पता ही ना चले |

मॉनिटर का इतिहास

मॉनिटर-Monitor का इतिहास कितना पुराना है यह बता पाना काफी मुश्किल है लेकिन फिर भी कुछ जानकारी के अनुसार 1964 मैं यूनिस्कोप 300 मशीन में CRT डिस्प्ले का उपयोग किया गया था  जो कि  वास्तविक मॉनिटर नहीं था |

ए. जॉनसन ने उसके बाद 1965 में टचस्क्रीन तकनीक का आविष्कार कर दिया था और 1 मार्च 1973 को जेरोक्स ऑल्टो  कंप्यूटर पेश किया गया था

जिसमें  पहला कंप्यूटर मॉनिटर का उपयोग किया गया था इस मॉनिटर में एक मोनोक्रोम डिस्प्ले और प्रयुक्त सीआरटी तकनीक का उपयोग किया गया था|

1975 में जॉर्ज सैमुअल हर्स्ट पहला प्रतिरोधक टचस्क्रीन डिस्पले पेश किया जिसका उपयोग 1982 से पहले ही किया गया था|

1977में जेम्स पी. मिचेल ने एलईडी डिस्प्ले तकनीक का आविष्कार किया था 1987में IBM ने पहला वीजीए मॉनिटर लांच किया और 1989 में vesa ने कंप्यूटरों को प्रदर्शन के लिए svga मानक को परिभाषित किया|

मॉनिटर की परिभाषा

मॉनिटर-Monitor एक ऎसा डिस्प्ले डिवाइस जो  वीडियो कार्ड के माध्यम से कनेक्ट कंप्यूटर द्वारा उत्पन्न छवियों, टेक्स्ट, वीडियो और ग्राफिक्स की जानकारी को प्रदर्शित करता है|

या एक ऎसा डिवाइस जो यूज़र द्वारा दी गई किसी प्रकार की इनपुट / इन्फॉर्मेशन को cpu द्वारा प्रोसेस होने के बाद आउटपुट के रूप में जिस डिवाइस देखते हैं उसे मॉनिटर कहते हैं

मॉनिटर की आवश्यकता क्यो ?

जैसे हम आधुनिक मॉनिटर-Monitor को देखते हैं सारा डाटा हमें हाइ ग्राफिक  के साथ देखने को मिलता है परंतु मॉनिटर के अस्तित्व में आने के पहले ऐसा क्या हुआ था कि आज के मॉनिटर का इतना विकास हुआ |

जब कंप्यूटर का भी विकास हो रहा है तो कंप्यूटर के आंतरिक पार्ट में क्या चल रहा है सही काम कर रहा है या नहीं इसकी जानकारी लेने के लिए ही प्रारंभिक मॉनिटर का उपयोग अस्तित्व में आया |

कंप्यूटर के पार्ट की जानकारी लेने के लिए हर एक पार्ट के साथ एक लाइट कनेक्ट किया जाता था जिनको इन सभी बल्बों को एक साथ सेट बनाकर के एक पैनल में कनेक्ट करते थे

जो कि कंप्यूटर के अंदर स्थित रजिस्टर की स्टेट की बीच की ऑन / ऑफ की स्थिति का संकेत देता था

आधुनिक मॉनिटरजैसा कोई सुविधा तो था नहीं तो इन बल्बो के जलने व बुझने से कंप्यूटर की स्थिति का पता चलता था जिससे तात्कालिक कंप्यूटर ऑपरेटर को कंप्यूटर की इंटरनल पार्ट्स की निगरानी करने में सुविधा प्रदान करता था

यह बताता था कि पार्ट सही काम कर रहा है और वर्तमान में जो डिस्प्ले हम देखते हैं यह इसी सिस्टम पर आधारित है जिसे हमने एक बॉक्स के अंदर में समेट लिया है

डिस्प्ले क्या होता है ?

जब हम इंफॉर्मेशन को किसी इनपुट डिवाइस में फिड करते हैं तो वह इलेक्ट्रिक सिग्नल के रूप में आउटपुट डिवाइस मॉनिटर-Monitor में प्रकाश उत्पन्न करता है कहने का अर्थ क्या है कि जब हम इनपुट करते हैं तो हम इलेक्ट्रिक सिग्नल के लिए जिम्मेदार स्विच को ऑन करते हैं जिससे प्रकाश उत्सर्जित होता है|

टेक्निकल टर्म में कहे तो इलेक्ट्रॉनिक विजुअल डिस्प्ले- विजुअल इनफार्मेशन को विद्युत इनपुट सिगनल  ( analog-digital ) के अनुसार प्रकाश का उत्सर्जन करके या प्रतिबिंब या संचरण की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न प्रकाश को संशोधित करके प्रदर्शित करता है

प्रकाश उत्सर्जन की प्रक्रिया को सक्रिय डिस्प्ले  और प्रकाश मॉड्यूलर को निष्क्रिय डिस्प्ले कहा जाता है इलेक्ट्रॉनिक विजुअल डिस्प्ले को आंख से देख सकते हैं जिसे डायरेक्ट व्यू डिस्प्ले कहते हैं

पहले मॉनिटर CRT कैथोड रे ट्यूब का उपयोग करके डिस्प्ले करता था परंतु समय के अनुसार डिस्प्ले तकनीक काफी बदल गया है

वर्तमान में टीएफटी एलसीडी थिन फिल्म ट्रांसिस्टर लिक्विड क्रिस्टल डिस्प का उपयोग हो रहा है और बैकलाइट में एलइडी का उपयोग किया जाता है इसमें एक सीसीएफएल ओल्ड फोर्ट फ्लोरोसेंट लैंप वेडिंग को जगह ले लिया है

मॉनिटर के प्रकार

Cathod ray tube (CRT)

Crt मॉनिटर-Monitor 1970 के दशक में काफी प्रचलन में था यह analog मोनोक्रोम डिस्प्ले डिवाइस था monochrome का मतलब है (Black & white) |

अगर इसके फंक्शन की बात करें तो CRT वेक्यूम ट्यूब पर बेस था जो तीन इलेक्ट्रॉन बीम  की सहायता से इमेज को स्क्रीन पर प्रदर्शित करता था जो लाखों फॉस्फोर की सहायता से संपन्न होता है|

लेकिन कलर सीआरटी में rgb (red, green, blue) फॉस्फोर डॉट की पट्टी बनी होती है जो इलेक्ट्रॉनों द्वारा एक्टिवेट ( सक्रिय) हो जाता है और अलग-अलग रंग बनाने के लिए काम करता है |

What is a Monitor

Liquid crystel display  (LCD)

Lcd मॉनिटर-Monitor एक फ्लैट पैनल डिस्पले है जो पोलाराईजैसन के साथ मिलकर लिक्विड क्रिस्टल के प्रकाश को व्यवस्थित करने के गुणों के उपयोग करता है|

रंगीन और ब्लैक एंड वाइट तस्वीर को उत्पन्न करने के लिए बैकलाइट और रिफ्लेक्टर का उपयोग करता है क्योंकि लिक्विड क्रिस्टल सीधे प्रकाश उत्पन्न नहीं कर सकता |

lcd स्क्रीन में इमेज बर्न की समस्या का सामना करना पड़ता यदि तस्वीर को स्क्रीन पर लंबे समय तक दिखाता है तो इसका बड़ा कारण फॉस्फोर को माना जाता है |

Light emiting diod (LED)

Led मॉनिटर-Monitor एक फ्लैट पैनल डिस्पले है जो विडियो डिस्प्ले के लिए pixel के रूप में लाइट एमिटिंग डायोड की एक श्रृंखला का उपयोग करता है|led एक सेमीकंडक्टर है

जिस पर करंट का प्रवाह करने पर प्रकाश का उत्सर्जन होता है जब अर्धचालक सेमीकंडक्टर में इलेक्ट्रॉन को इलेक्ट्रिकल होल के साथ रिकंबाइन करते हैं तो सेमीकंडक्टर फोटन के रूप में ऊर्जा को छोड़ते हैं

computer monitor

और सेमीकंडक्टर के बैंड गेप को पार करने के लिए इलेक्ट्रॉन को जिसे ऊर्जा की आवश्यकता होता है उसके द्वारा ही प्रकाश के रंग का निर्धारण होता है

Organic light emiting diod(OLED)

Oled मॉनिटर-Monitor को ओर्गेनिक इलेक्ट्रो लुमिसेंट डायोड के रूप में भी जाना जाता है यह एक लाइट एमिटिंग डायोड है जिसमें एमीसिव इलेक्ट्रो लुमिसेंट लेयर की एक पतली फ़िल्म होती है

जो इलेक्ट्रिक करंट देने पर प्रकाश का उत्सर्जन करता है यह कार्बनिक परत दो दो इलेक्ट्रोडो के बीच स्थित होती है आमतौर पर इसमें कम से कम एक इलेक्ट्रोड पारदर्शी होता है |

मॉनिटर-Monitor के कनेक्टर के प्रकार

मॉनिटर को इनपुट के साथ कनेक्ट करने के लिए हार्डवेयर कंपोनेंट की आवश्यकता होता है पहले यह मदरबोर्ड से अलग होता था अलग कहने का अर्थ है कि यह अलग-अलग कार्ड के रूप में उपयोग होता था परंतु आधुनिक मदरबोर्ड में सारे कनेक्टर inbuild होकर आते हैंHDMI, VGA, DVI, Displayport, SDI Touchscreen Solutions with Different types of monitor ports www.xenarc.com Xenarc Technologies manufactures ruggedized all-weather 7",8",9",10",12",15",18",24" touchscreen solutions for all industries. Contact a Xenarc Technologies Engineer Today at 949-380-8898 and 888-656-6536

Vga

वीडियोग्राफी अरे या वीडियोग्राफी एडेप्टर या वीडियो ग्राफिक कनेक्टर इसमें 15 पिन का सब स्टैंडर्ड कनेक्टर होता है जो D shape के मेटल का होता है

इसमें 3 row होता है प्रत्येक row में 5 पिन होता है इसका उपयोग सबसे पहले आईबीएम ने 1987 में vga ग्राफिक सिस्टम के साथ शुरू किया था

जोकि बहुत प्रचलित हो गया साथ ही साथ इसका उपयोग कई मॉनिटर प्रोजेक्ट एवं हाई डेफिनेशन टीवी में भी होने लगा है |

Dvi

डिजिटल विजुअल इंटरफेस का उपयोग वीडियो स्त्रोत (वीडियो डिस्प्ले कंट्रोलर) से डिस्प्ले डिवाइस (मॉनिटर) को कनेक्ट किया जाता है बुनियादी तौर पर इसे बनाने का कारण था

अनकंप्रेस्ड वीडियो को मॉनिटर-Monitor पर देखना dvi-a (analogue) dvi digital only को support करना था जबकि dvi-i (एनालॉग एंड डिजिटल) इनको कई मोड को सपोर्ट करने के लिए डिजाइन किया गया था |

Hdmi

हाई डेफिनेशन मल्टिमीडिया इंटरफ़ेस को ऑडियो वीडियो इंटरफ़ेस भी कहा जा सकता है क्योंकि यह अनकंप्रेस वीडियो को और कंप्रेस अनकंप्रेस ऑडियो को एक साथ वीडियो स्त्रोत ( डिस्प्ले कंट्रोलर) से मॉनिटर-Monitor तक पहुंचाता है

वर्तमान समय में हम वीडियो प्रोजेक्टर और टीवी में इसका उपयोग देख सकते हैं hdmi eia/cea-861 मानक का उपयोग करता है

जो कि विडियो फॉर्मेट, वेव फ़ॉर्म, compressed /un compressed lpcm को औडियो परिवहन मे सहायक डाटा ओर VESA EDID के कार्यान्वयन को लागू करता है |

Display port

वीडियो स्त्रोत को मॉनिटर-Monitor से कनेक्ट करता है यह ऑडियो वीडियो यूएसबी और डाटा के दूसरे फॉर्म को मॉनिटर तक पहुंचाता है डिस्पलेपोर्ट को vga dvi और fpd – link को रिप्लेस करने के लिए डिज़ाइन किया गया था |

डिस्पलेपोर्ट पैकेट युक्त डाटा का ट्रांसमिशन को सपोर्ट करने वाला पहला डिस्प्ले इंटरफ़ेस था जो कि इथरनेट, यूएसबी, पीसीआई एक्सपेंशन जैसे तकनीकों में इस्तेमाल किया गया|

Usb-c

इसे टाइप सी कनेक्टर के नाम से भी जाना जाता है यह यूएसबी का अति आधुनिक तकनीक है यह 24 पीन वाला होता है जो घूर्ण रूप में सममित कनेक्ट होता है|

टाइप सी यूएसबी 1.0 को (usb-if )  यूएसबी इंप्रूवमेंट फोरम द्वारा 2014 में बनाया गया था इसी समय यूएसबी 3.1 का वीनिर्देशन किया गया था और जुलाई 2016 में इसे iec द्वारा “ice-62680-1-3” के रूप में अपनाया गया|.

U SB 3.1 कि जगह USB 3.2 ने सितंबर 2017 में ले लिया था जो यूएसबी 3.1 की सुपर स्पीड और सुपर स्पीड +मोड को बरकरार रखता है और इसकी जगह लिया नया यूएसबी type-c ने दो नया सुपर स्पीड + ट्रांसफर मोड पेश करता है जिसकी डाटा रेट 10 से 20 gb/s है.|

ज्यादातर वर्तमान में उपयोग होने वाले मोबाइल के चार्जिंग केबल के रूप में देख सकते हैं पुराने केबल को उसके मेल पार्ट को फीमेल पार्ट से कनेक्ट करके लगाना पड़ता थ परंतु type-c को मोबाइल कनेक्शन में कैसे भी प्लग कर सकने में सहायक होता है |

usb4 को 2019 में जारी किया गया है जो कि पहला यूएसबी ट्रांसफर प्रोटोकोल मानक है जो type c के माध्यम से उपलब्ध है type c कनेक्टर 24 पिन वाला डबल साइज माइक्रो कनेक्टर से थोड़ा बड़ा होता है

टाइप सी में दो तरह के कनेक्टर उपलब्ध है मेल (plug )-cable ओर adapter मे पाया जाता हैफीमेल (receptical)- device और adapter में पाया जाता है |

thunderbolt

यह एक हार्डवेयर इंटरफेस है जिसे लाइट पीक नाम से बेचा गया था और इसे इंटेल द्वारा एप्पल के सहयोग से बनाया गया था|

24 फरवरी 2011 को इसे पहली बार उपभोक्ता उत्पाद के हिस्से के रूप में बेचा गया था इसका उपयोग परिधि उपकरणों जैसे माउस, कीबोर्ड, प्रिंटर, स्कैनर, और बहुत कुछ को कंप्यूटर से जुड़ने के लिए उपयोग किया जाता था |

यह dc पावर ले जाने में सक्षम है थंडरबोल्ट के पहले दो संस्करणों में 1 सेकंड में 20 जीबी तक डाटा को ट्रांसफर कर सकता थ जबकि वर्तमान में 40 जीबी प्रति सेकेंड की दर से डाटा को ट्रांसफर करता है |

मॉनिटर के प्रदर्शन मापदंड

Aspect ratio

मॉनिटर की होरिजोनटल लेंथ और वर्टिकल लेंथ का अनुपात होता है 4:3,5:4,16:10, 16:9

colour depth

रंगों की गहराई को बिट् में मापा जाता है चाहे एक कलर हो या कई कलर हो जैसे 10 BPC या फिर 10 bpc से अधिक रंगों के शेड (1 बिलियन ) प्रदर्शित करते हैं

जबकि 8 bpc का मॉनिटर-Monitor इससे कम रंगों का शेड (लगभग 16. 8 मिलियन) बनाता है इसका अर्थ यह है कि रंगो का बीपीसी जितना ज्यादा होगा रंगों के शेड उतने ज्यादा बनेंगे और पिक्चर का कलर उतना बेहतर होगा , बीट रंग के सिंगल पिक्सेल का निर्धारण करता है |

BPC – bit per channel, bit per color, bit per compound के रूप में परिभाषित कर सकते है

Monitor response time

मॉनिटर-Monitor रिस्पांस टाइम को आसान भाषा में समझे तो मॉनिटर किसी पिक्चर की क्वालिटी को Blur से Clean करने में जो समय लेता है उसे मॉनिटर का रिस्पांस टाइम कहते हैं |

जैसे कि हम जानते हैं पिक्चर का संबंध पिक्सल से है और पिक्सल का संबंध रंगों से है| टेक्निकल टर्म में समझे तो एक पिक्सेल में तीन कलर होता है रेड, ग्रीन और ब्लू जिसे हम RGB भी कहते हैं |

तो यह एक पिक्चर एक कलर से दूसरे कलर में जाने में जितना समय लेता है उसे हम मॉनिटर का रिस्पॉन्स टाइम कहते हैं इसे मिली सेकंड मे मापा जाता है BTW, GTG, MPRT प्रकार के हो सकते हैं |

luminance

लुमिनस प्रकाश की चमक की तीव्रता को मापने की फोटोमैट्रिक माप है जो चमकती हुई दी गई दिशा में यात्रा करता है लुमिनेंस प्रकाश की मात्रा का वर्णन करता है जो किसी विशेष क्षेत्र से होकर गुजरते हुए उत्सर्जित होता है|

या किसी विशेष क्षेत्र से  परिवर्तित होकर दिए हुए किसी ठोस कोण में गिरता है और चमकता है लुमिनेंस को कैडेला प्रति वर्ग मीटर से मापते हैं |

refresh rate

प्रत्येक सेकंड में मॉनिटरजितने नए इमेज दिखाता है वह उस मॉनिटर का रिफ्रेश रेट होता है इसका क्या मतलब हुआ|मान लो आपका मॉनिटर 60hz की रिफ्रेश रेट है तो प्रत्येक सेकंड में 60 बार मॉनिटर रिफ्रेश होगा या फिर अपडेट होगा |

pixel density

आपके मॉनिटर-Monitor का जो रिसोल्यूशन होगा उस पर यह निर्भर करेगा कि आपके मॉनिटर का पिक्सल डेंसिटी क्या होगा |इसका अर्थ यह है कि मान लो आप का मॉनिटर रिसोल्यूशन 1920 *1080 है  जो आपका मॉनिटर का पिक्सल डेंसिटी होगा|

पिक्सल डेंसिटी का सीधा संबंध मॉनिटर के रिसोल्यूशन से है इसका मतलब पिक्सेल हो किसी रंग का एक बॉक्स माल ले तो ऐसे पिक्सेल के समूह को हम रेसोल्यूशन के अनुसार पिक्सेल की डेंसिटी समझ सकते हैं |

contrast ratio

कॉन्ट्रैस रेसिओ डिस्प्ले सिस्टम का वह गुण है जिससे स्क्रीन का सबसे चमकदार शेड सफेद और डार्क शेड काला के अनुपात को परीभाषित करता है इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं स्टैटिक और डायनामिक के रूप में

static :- यदि आप मॉनिटर-Monitor पर कोई गेम, वीडियो या मूवी देख रहे हो और आप उस स्क्रीन को पॉउस करते हैं तो आप देखेंगे जो स्क्रीन पर चमकदर हिस्सा एवं डार्क हिस्सा का अनुपात  हैं उसे स्टेटिक कहते हैं यह ऑटोमेटिक ब्राइटनेस को एडजेस्ट करता है

आप लोग जब भी कोई मॉनिटर खरीदते हैं तो पैकेट में कॉन्ट्रास्ट रेशियो के आगे लिखा होता है 9000:1,10000, 100000:1, इस तरह का अनुपात लिखा होता है

इसका क्या मतलब है 90000 उस मॉनिटर का चमकदार हिस्सा या सफेद हिस्सा हो सकता है और 1 इसका डार्क हिस्सा या काला हिस्सा होता है यह ब्लैक एंड वाइट का अनुपात जितना ज्यादा होता है पिक्चर क्वालिटी में उतना ज्यादा चमक आएगा|

dynamic :- इसके चमकदार हिस्से को और डार्क हिस्से को हम मैनुअली एडजस्ट कर सकते हैं इसके अंदर कुछ हिस्से में ही ब्राइटनेस को बढ़ाया या कम किया जा सकता है वह भी आपके पिक्चर के अनुसार लाइट को एडजस्ट करता है|

यह लाइट  और कुछ नहीं मॉनिटर में लगा बैकलाइट ही है जो चमकदार हिस्से को और चमकदार एवं डार्क हिस्से को और डार्क बताता है आपके मॉनिटर में पिक्चर या वीडियो को देखने का एक्सपीरियंस को बदल देगा यदि आप इसे अंधेरे कमरे में या लाइट के बीच देखते हैं |

gamut

एक समय में किसी दिए गए इमेज में पाए जाने वाले रंगों का उप समूह को ही हम gamut कह सकते हैं या आसान भाषा में समझे तो हमारे इस नेचर में तरह-तरह के रंग है

जिसे हमारे डिवाइस से चाहे मॉनिटर-Monitor हो, प्रोजेक्टर हो,  प्रिंटर हो या फिर कैमरा उन सभी रंगों को दिखा पाना मुश्किल होता है या कहे तो हर डिवाइस कि अपनी एक लिमिट या रेंज होता है

जिसके अनुसार ही वह रंगों को प्रदर्शित करता है तो इन रंगों के बॉउंडेशन को ही हम gamut कह सकते हैं

input latency

जब मॉनिटर-Monitor को कोई इमेज प्राप्त होता है तो उसे वापस प्रदर्शित करने में मॉनिटर जो समय लेता है उसे ही मॉनिटर की इनपुट लेटेंसी कहते हैं इसे आमतौर पर मिली सेकंड में मापा जाता है

Display size

डिस्प्ले साइज मुख्य रूप से कंप्यूटर मॉनिटर या टीवी में देखा जाने वाला भौतिक भाग होता है और इसे इसके विकर्ण की लंबाई से मापा जाता है इसे इंच में मापा जाता है

हमने जाना

इस लेख में हमने जाना कि मॉनिटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो इंफॉर्मेशन की स्थिति को जानने में सहायता प्रदान करता है साथ ही आपके कंप्यूटर के हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर की स्थिति को भी देखा जा सकता है

मॉनिटर की इतिहास के विषय में हमने संक्षिप्त में बताया है कि इसकी शुरुआत कब हुआ और क्यों उनकी आवश्यकता हुई और शुरुआती मॉनिटर कैसा था ? हमने जाना कि डिस्प्ले क्या होता है ?

और मॉनिटर-Monitor के प्रकार और कनेक्टर के विषय में भी हमने संक्षिप्त में अध्ययन किया है हमने मॉनिटर के जरूरी पैरामीटर को भी संक्षेप में समझाया है मुझे उम्मीद है उपरोक्त सभी को पढ़कर आपके मॉनिटर के विषय में जानकारी जरूर बड़ा होगा इस लेख को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद|

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